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Sunday, 3 January 2016

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1. अगर दरवाज़ा खटखटाने पर अंदर से पूछा जाए के कौन है? तो जवाब में अपना नाम कहना चाहिए, मै हूँ कहना काफी नही. सरकारे दोआलम सल्लल्लाहो अलयहे
वसल्लम जब किसीके दरवाज़े पर तशरीफ़ ले जाते तो दरवाज़ेके सामने नहीं खड़े होते बल्कि दरवाज़ेसे हटकर दाहिने या बाए खड़े होते .
(हवाला:- अबुदावूद शरीफ)
2. सरकारे दोआलम सल्लल्लाहो अलयहे वसल्लम का इरशादहै के सलाम कलाम
(बातचीत) से पहले करना चाहिए.
(हवाला:-तिर्मिज़ी शरीफ)
3. सलाम करनेसे आपसमे मोहब्बत बढ़ती है, इसलिए सलाम को रिवाज दो.
(हवाला:-मुस्लिम शरीफ)
4. सलाम में पहल करनेवाला गुरुर और घमंडसे पाक है.
(हवाला:- बैहक़ी शरीफ)
5. तुममेसे कोई जब किसी मज्लिसमे पहुंचे तो सलाम करे, फिर अगर बैठना चाहे तो बैठ जाए और जब चलने लगे तो दोबारा सलाम करे. (हवाला:-तिर्मि
ज़ी शरीफ)
6. जो लोग कुर्रान शरीफ या वाअज़ सुनने-सुनानेमे लगे हो या पढ़ने-पढ़ानेमे लगे हो तो
उन्हें सलाम न किया जाए.
7. जब तुम अपने घरमे दाखिल हो तो घरवालोको सलाम करो, इसलिए के तेरा सलाम तेरे और तेरे घरवालो केलिए बरकतका सबब होगा. (हवाला:-तिर्मिज़ी शरीफ)
8. जो शख्स सलाम करनेमे गैरोका तरिका अपनाए वोह हममेंसे नहीं है. यहूदी और नसाराका तरिका न अपनाओ. यहोदियोंका सलाम उंग्लियो के इशारेसे है और नसाराका सलाम हथेलियोकेँ इशारे से है.
(हवाला:-तिर्मिज़ी/मिश्कात शरीफ)
9. खत में सलाम लिखा हो तो उसकाभी जवाब देना वाजिब है. इसकी दो सूरते है, एक तो यह के ज़ुबानसे जवाब दे, दुसरा यहके सलामका जवाब लिखकर भेज दे.
(हवाला:-बहारे शरीयत / दुर्रे मुख्तार और शमी, जिल्द- 5, सफ़्हा-275)
10. खत में किसीने लिखा के फुला को सलाम कहो तो जिसको खत लिखा गया है उस पर सलाम का पहोंचाना वाजिब नहीं, अगर पहोंचाएगा तो सवाब पाएगा.
11. किसीने कहा के फुला को मेरा सलाम कह देना और उसने वादा कर लिया तो सलाम पहचाना वाजिब है. अगर नहीं पहुचाएगा तो गुनाहगार होगा.
(हवाला:- फतवा आलमगिरी)
12. सरकारे दोआलम सल्लल्लाहो अलयहे वसल्लम का इरशाद है के जब दो मुसलमान आपसमे मिलते है और मुसाफह करते है तो उन दोनोंके जुदा होनेसे पहले उनको बख्श दिआ जाता है.
(हवाला:-तिर्मिज़ी शरीफ)
13. आपसमे मुसाफा किया करो के इससे दुश्मनी दूर होगी.
(हवाला:-तिर्मिज़ी शरीफ)
14. बरकत के लिए आलिम और परहेज़गार आदमी का हाथ चुमना जाएज़ है.
(हवाला:- दुर्र्रे मुख्तार)

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