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Wednesday, 3 October 2012

भीख के लिए दामन फैलाना छोड़ दो मुसलमानों


भीख के लिए दामन फैलाना छोड़ दो मुसलमानों .................
( सब मुसलमानों को बेवक़ूफ़ बना रहे हैं। )

देश की कोई भी पार्टी आज तक मुसलमानों को जो कुछ देती आई हैं वो सब भीख का टुकड़ा है। चाहे आपको मंत्री बनाए, आयोग का चैयरमैन बनाए, या अपनी पार्टी का टिकट दे। ये सब पार्टियां मजबूरी में करती है। चूंकि उनको आपका वोट चाहिए। लेकिन ये सब कुछ आपको भागीदारी के रूप में नहीं मिलता। जिस दिन ये सबकुछ आपको सीना

 चौड़ा कर मिलने लगा, मान लेना भागेदारी मिल गई। असलियत यह है कि जिस पार्टी को आपके वोट की दरकार भी नहीं, खुलेआम वो मुसलमानों की मुख़ालफत करती है। यानि भाजपा। लेकिन वो भी मुसलमान को मंत्री बनाती है। तमाम वक्फ बोर्ड और हज कमेटी के चेयरमैन मुसलमानों को बनाती है। इसके अलावा न जाने कितने आयोगों के चेयरमैन मुसलमानों को ही बनाती है। अल्पसंख्यकों के विकास के लिए बाक़ायदा बजट भी बनाती है। फिर भाजपा और दूसरी पार्टियों में फर्क़ किस बात का है। कुल मिला कर सब एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं। सब मुसलमानों को बेवक़ूफ़ बना रहे हैं।

मैंने अपनी क़लम के ज़रिए ये समझाने की कोशिश की है कि अपने आपको संगठित कर सत्ता में भागीदारी हासिल करो। सत्ता में भागेदारी मिली तो मसाइल सारे अपने आप हल हो जाएंगे। अपना हक़ हासिल करो। भीख के लिए दामन फैलाना छोड़ दो। खद्दरधारियों की कैद से खुद को आज़ाद करो। अपने वोट की ताक़त को पहचानो। संगठित होना सीखो। किसी भी एक पार्टी की ताबेदारी से बाहर आओ। जो सत्ता में भागेदारी दे। उससे अपने वोट का सौदा तय करो। एक बात और बता दूं। इसके लिए संगठन बनाने की सख़्त ज़रूरत है। कोई मुस्लिम नेता ऐसा है जो उनकी आंख से आंख मिलाकर बात करने की औक़ात रखता हो। जिस दिन ऐसा हो गया समझ लो भागीदारी मिल गई।

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