जन्नत बनेगा घर तेरा खुद आज़मा के देख़ मिलाद मेरे आक़ा का घर में मना के देख़ गुज़रेगी तेरे घरसे भी बच बच के आंधियाँ तू अपने घर पे परचम-ए-आक़ा लगा के देख़
No comments:
Post a Comment