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Friday, 2 January 2015

जन्नत बनेगा घर तेरा खुद आज़मा के देख़
मिलाद मेरे आक़ा का घर में मना के देख़
गुज़रेगी तेरे घरसे भी बच बच के आंधियाँ
तू अपने घर पे परचम-ए-आक़ा लगा के देख़

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