जन्नत बनेगा घर तेरा खुद आज़मा के देख़
मिलाद मेरे आक़ा का घर में मना के देख़
गुज़रेगी तेरे घरसे भी बच बच के आंधियाँ
तू अपने घर पे परचम-ए-आक़ा लगा के देख़
Friday, 2 January 2015
बनाई क्या खुदा ने सोहनी सूरत मोहम्मद की.
हुए आशिक वो जिसने देख ली सूरत मोहम्मद की.
कमाल ए हुस्ने युसूफ पर फकत आशिक जुलेखा थीं
खुदा खुद जिस पे आशिक है वो सूरत है मोहम्मद की.
मुसलमानों को जब जन्नत के दरवाजे पे रोकेंगे.....
हुक्म होगा के जाने दो ये उम्मत है मोहम्मद की.
Momin wo nahi jis
ki mehfil pak ho,
Bul-k momin wo hay
jis ki tanhai pak ho".
बनाई क्या खुदा ने सोहनी सूरत मोहम्मद की.
हुए आशिक वो जिसने देख ली सूरत मोहम्मद की.
कमाल ए हुस्ने युसूफ पर फकत आशिक जुलेखा थीं
खुदा खुद जिस पे आशिक है वो सूरत है मोहम्मद की.
मुसलमानों को जब जन्नत के दरवाजे पे रोकेंगे.....
हुक्म होगा के जाने दो ये उम्मत है मोहम्मद की.
हुजुर सल अल्लाहू अलैही वसल्लम के वालिद हज़रत अब्दुल्लाह आपको अम्मा हज़रत आमना के पेट में ही छोड़कर दूनियाँ से रुखसत हो गये। सय्यदा आमना खातून अपनी जिन्दगी बसर कर रही हैं हज़रत की दादी ने हज़रत के दादा को एक दिन इशारा करके बुलाया। और कहने लगीं आपको पता है ये बहु आमना इत्र लगाती है।
हज़रत की दादी कहने लगीं मैं तो बड़ी परेशान हुँ क्या करूँ आप आमना से पूछिये। हज़रत के दादा ने जवाब दिया तू पूछ लेती तूने क्यों ना पूछा?
हज़रत की दादी कहने लगी हज़रत के दादा हज़रत मुत्तलिब से मैं तुम्हें क्या बताऊँ मैंने कई मरतबा इरादा किया मैने बुलाया लेकिन मैं जब आमना बहु के चहरे पे नज़र डालती हुँ तो मैं पसीना पसीना हो जाती हुँ आमना के चहरे पे इतनी चमक है इतना रोब है मैं तो उससे पूछ नही सकती, आप ही पूछो।
हज़रत के दादा कहने लगे तू तो औरत जात है घर में बेठी रहती है मैं तो मर्द हुँ बाहर रहता हूँ मक्का में कुरैश का सरदार हुँ मुझसे जो भी मिलता है मोहल्ले में वो पूछता है ऐ अब्दुल मुत्तलिब तेरे घर में इत्र की बारिश कहाँ से हो रही है। और अब्दुल मुत्तलिब ने हज़रत की दादी से कहा ये जो खुशबु आती है ये जिस कमरे में जाती वहाँ खुशबु आती है ये गुसलखाने में जाती है वहाँ भी खुशबु आती है और ये थूकती है तो थूक में भी खुशबु आती है।
(कुर्बान जाँऊ आमना के बेटे हज़रत मोहम्मद सल अल्लाहू अलैही वसल्लम पर) और हज़रत के दादा हज़रत की दादी से कहने लगे तुझे एक और बात बताऊँ ये जो खुशबु आती है ये कोई मामूली इत्र नहीं है ये ईराक का इत्र नहीं ये फ़लस्तीन का इत्र नहीं ये किसी देश का इत्र नहीं ये कोई ख़ास खुशबु है तो हज़रत की दादी कहने लगी फिर पूछ लो हज़रत के दादा ने हिम्मत करके आवाज़ दी आमना बेटी! इधर आओ। आपकी माँ आमना तशरीफ़ ले आई (उस माँ की अज़मतो का क्या कहना जिसके पेट में 9 महीने इमामुल अम्बिया ने बसेरा किया हो) आपके दादा आपकी माँ आमना से कहने लगे बेटी आमना तुझे पता है मैं बैतुल्लाह का मुतावल्ली हुँ खाना-ए-क़ाबा का मुतावल्ली हुँ सरदार हुँ कुरैश का मुखिया हुँ इज्ज़त वाला हुँ आबरू वाला हुँ पर मैं जहाँ भी जाता हुँ लोग मुझसे पूछते हैं अब्दुल मुत्तल्लिब तेरे घर से इत्र की खुशबु आती है बेटी एक बात बता मैं इत्र नही लगाता तेरी माँ इत्र नही लगाती फिर तू ये इत्र कहा से लाती हो और ये भी मैं जानता हुँ ये कोई आम इत्र नही है। सय्यदा खातून आमना(र.अ.) की आखों से आँसू शुरू हो गये और फरमाने लगीं अब्बा क्या बताऊँ मैंने सारी जिन्दगी में इत्र खरीदा नहीं मुझे लाके किसी ने इत्र दिया नहीं मुझे अच्छे बुरे इत्र की पहचान नही मैंने इतर वाले की दूकान देखी नही मैं बाज़ार कभी गई नही मुझे किसी सहेली ने लाके नही दिया मुझे किसी मुलाजिम ने लाके नही दिया मेरे घर वालो ने लाके नही दिया मेने सारी जिन्दगी में खरीदा कभी नहीं पर अब्बा इक बात बताती हुँ ना तुमने खरीदा ना मैंने खरीदा न किसी और ने लाके दिया ऐसा मालुम होता है (अपने पेट पे हाथ रख के कहा) इस आने वाले मेहमान की बरकत है और कहने लगी अब्बा तुमने तो सिर्फ खुशबु सुँघी है अगर मैं कुछ और बताऊँ तो दीवानी कहोगे फरमाती हैं ऐ अब्बा! ये सूरज कई मरतबा मुझे सलाम करता है ये चाँद मुझे सलाम करता है जब मैं सोती हुँ ऐसी औरतें जो ना तुमने देखी ना मैंने देखी खड़ी होकर मुझे पंखा झलती हैं।
सुब्हान अल्लाह
आँख वाले तेरे____जोबन का तमाशा देखें,,,
दीदा-ए-ख्वार को क्या आए नज़र क्या देखे,,,
दरूद-ए-पाक पढ़ कर शेयर करें जज़ाक अल्लाह
MAA ke guzarne ke baad Hazrat
Moosa
(Alaihisalam) KOH-E-TUR par chadhe
aur thoda
Phisal gaye, tab ALLAH ne farmaya"Ay
Moosa
Ab zara sambhal ke chalo, Kyu ki Dua
maangne
wale Haath Ab nahi rahe"Maa ki Dua,
Maut ke
siva har Musibat ko taal sakti hai.
Maa Ek
anmol den hai, kho jaane par dubara
nahi
milti... ALLAH Ta'ala Hamare
Waalidain ki Umar
mein Barkat de aur Kaamil Shifa de...
Aameen.. plz sabhi ko frwrd karo .....
Ankh khulle to chehra meri Maa ka
ho,
Ankh band ho to Sapna meri Maa ka
ho,
Main mar jaon to Ghum nahi Lekin,
Kaffan Mille to Dopatta Meri Maa ka
ho,
Rab ne Maa ko Yeh Azmat kamal di,
Is ki Dua se aai Mussibat b Taal di,
Quran me Maa k pyar ki Rab ne aisi
Missaal di
Jannat utha k Maa k Qadmon me
Daal di.
Yeh dua apni " (Ammi )" jan k liay,
Plz aik bar " (Ameen )" kahen!
Ay " (KHUDA )",
Meri (Maa ) ko
Sehat or Tandrusti atta Farma
(ameen)
Un ki tamam pareshanion ko khatm
kr
(ameen)
0r unhein hamesha hamaray liay
salamat rakh
(Ameen) or jis ki (maa ) is duniya sy
rukhsat ho gae hain unko (janat )
mein alla muqam ata farma.(Ameen)
or jis ne ye dua mujhe send ki unki
Maa ka sayaa un k sar par hamesha
salamat rakhna <ameen >o
Agr ap apni (Maa ) ke liaye dua
karwana chahtay hain TO isko itna
Share karian jitna ap apni (maa ) s
pyar krte hain...